हमारा अपना कोई घर नहीं
हम चार भाई
चले
सबसे बड़ा चला बनाने को एक
अकेला था
कुछ साल पहले ही चल बसा
कुछ सालों से मैं लगा हूँ
बनाने को एक घर
सबके साथ रहने को
अब चार मकान है
सब अलग रहते हैं
माँ थोड़ा-२ सब में रहती है
~शौर्य शंकर