अरे देखो
बारिश की बूंदों के भी दांत झड़ गए
अरे देखो
धूप के बाल भी सफ़ेद हो गए
अरे देखो
हवा भी अब लाठी ले चलने लगी
अरे देखो
रात भी अब भोर तक सोती नहीं
अरे देखो
दिन को आँखों से कुछ दीखता नहीं
अरे देखो
पेड़ भी दम्मे को सिरहाने लिए बैठा रहा
अरे देखो
खेतों ने कोई फसल इस बरस जनी नहीं
अरे देखो
नदी कई सालों से खाट से उठी नहीं
अरे देखो
चिड़ियों की कूक भी खांस बन गूंजने लगी
-शौर्य शंकर
बारिश की बूंदों के भी दांत झड़ गए
अरे देखो
धूप के बाल भी सफ़ेद हो गए
अरे देखो
हवा भी अब लाठी ले चलने लगी
अरे देखो
रात भी अब भोर तक सोती नहीं
अरे देखो
दिन को आँखों से कुछ दीखता नहीं
अरे देखो
पेड़ भी दम्मे को सिरहाने लिए बैठा रहा
अरे देखो
खेतों ने कोई फसल इस बरस जनी नहीं
अरे देखो
नदी कई सालों से खाट से उठी नहीं
अरे देखो
चिड़ियों की कूक भी खांस बन गूंजने लगी
-शौर्य शंकर
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