Sunday, 23 June 2013

अरे देखो

अरे देखो
बारिश की बूंदों के भी दांत झड़ गए

अरे देखो
धूप के बाल भी सफ़ेद हो गए 

अरे देखो
हवा भी अब लाठी ले चलने लगी

अरे देखो
रात भी अब भोर तक सोती नहीं

अरे देखो
दिन को आँखों से कुछ दीखता नहीं

अरे देखो
पेड़ भी दम्मे को सिरहाने लिए बैठा रहा 

अरे देखो
खेतों ने कोई फसल इस बरस जनी नहीं

अरे देखो
नदी कई सालों से खाट से उठी नहीं

अरे देखो
चिड़ियों की कूक भी खांस बन गूंजने लगी





-शौर्य शंकर 

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