भाई चल ना .......
चाँद पे बैठ कर
आसमान में मछलियाँ पकड़ेगे।
भाई चल ना .......
अपने खटारे साइकिल पे
ख़्वाबों का जहाँ देखेंगे।
भाई चल ना .......
सपनो के साबुन से
ठहाकों के बुलबुले उड़ाएँगे।
भाई चल ना ........
धूप में गुम
मिट्टी की भीनी ख़ुशबू ढूँढेंगे।
भाई चल ना......
माँ के पैरों मे
आशीर्वादों का जहां जीतेंगे।
-शौर्य शंकर
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