कभी तुमसे मिलने की ख़ुशी हुई
तो कभी, बिछड़ने का हुआ गम।
कभी कुछ कहने का मन हुआ
तो चुप काट दिए, वो हसीन पल।
कभी तुझे देखने का दिल हुआ
तो मुह फेरे बैठा था, तेरा तन।
कभी अकेले में तेरी तस्वीर बनाई
तो कभी, उसमे भरते रहे रंग।
कभी तेरी हसी के सिक्के बिने हमने
तो कभी, तेरी छुवन को चुमते रहे हम।
कभी तेरी आँखों में प्यार दिखा
तो खुदको, नाकाबिल समझने लगे हम।
कभी तुमने खुलके प्यार का इकरार किया
तो तेरी भलाई को, दूर रहने लगे हम।
~ शौर्य शंकर
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