Saturday, 4 October 2014

मैं ....


मैं हर चेहरे से मोहब्बत कर बैठता हूँ गोया
मेरे माशूक़ का चेहरा तूने दिखाया जो नहीं

मैं हर ज़र्रे में तेरा ही अक्स खोजता हूँ
मुझे किसी मज़हब से कभी तूने रूबरू कराया जो नहीं

मैं आग का दरिया तक पार कर जाऊँ  गोया
मुझे मिलने को कभी तूने बुलाया जो नहीं

खुद को कभी-कभी आइने में पा लेता हूँ
तुझे जिसमे पा लूँ वो आईना अभी तक देखा जो नहीं

~ शौर्य शंकर 

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