Saturday, 29 September 2012

" ये चेहरें .."


           कभी टिमटिमाते ख़ुशी से ,
  कभी नाराज़ अंधेरों में गुम से  .
           कभी ज़िन्दगी की गठरी ढोते से , 
  कभी उम्मीदों की पतली पगडण्डी पे लड्खराते से .
          ये चेहरें ....

कभी बिना शर्म की नज़रों से ,
     कभी बिना मुस्तकबिल के माथे से .
कभी बिना सुहाग के  दुल्हन से ,
तो कभी नापाक इरादों से दिखते 
      ये चेहरें ....

   कभी सफ़ेद पड़े मुर्दे से ,
कभी टीस भरी घावों से .
   कभी जंग लगे इंसानियत से ,
कभी नापाक हुए इबादत से दिखते 
      ये चेहरें .....

शौर्य शंकर 

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