Saturday, 29 September 2012

" तुझे महसूस करता हूँ "

 
      भोर के पीली धुप में ,
कभी ओस के बूंद में .
      नंगे पैरों के छाप में ,
कभी असमंजस के हाल में .
     उस तेज़ हवा के झोखों में,
कभी बादलों के नाव में .
     तुझे महसूस करता हूँ ......


पत्तों के उड़ते साँस में,
     कभी फूलों के मुस्कान में।
बहते पानी के अहँकार में,
    कभी पत्थर के कोमल प्यार में .
अगरबत्तियों के जलने के मकसद में,
  कभी चन्दन  से महके संसार में .
तुझे महसूस करता हूँ .......


उड़ते होठों के पंख में ,
      कभी टिमटिमाते नैनो के जाल में .
ठंडी धुप के सेलाब में ,
     कभी आसमान से गिरते आब में .
तुझे महसूस करता हूँ ....


शौर्य शंकर


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