सब ज़हरीला है आस पास ,
शायद "मंथन " सा चल रहा है कुछ।
कुछ उफ़ान सा उठ रहा है दिल में ,
अस्तित्व की पहचान सा है कुछ।।
कुछ तूफ़ान सा दौड़ रहा है रग मैं ,
पर चेहरे पे मुस्कान सा है कुछ।
अंधकार सा बह रहा है चहु-ओर ,
ठहर, आँखों में "उम्मीद" सा पड़ गया है कुछ।।
~ शौर्य शंकर
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