May 28, 2014
दरमियान हमारे जो भी
बातें,
मुलाकातें,
मुस्कुराहटें,
खुश्बूएं,
छुवन,
नज़रें,
यादें,
सपने,
एहसासें,
इशारे,
रुबाइयाँ,
सिहरने,
आहें,
इन्तज़ारें,
शिकायतें थीं ....
चंद ही दिनो में धूल जमने लगी है उनपे
उन्हें बैठ कर साफ़ कर रहा हूँ
यादों के उन्ही गिरहों को खोल रहा हूँ
उनमे से कुछ दम घुटने से मर चुके हैं
बाकियों के मुह में फूक,
दम भर रहा हूँ
लावारिस पड़े हैं
वो यहाँ से वहां
उनकी लाश से लिपट
हस तो कभी रो रहा हूँ
हो सके तो दुआ करना
इन हमसायों के लिए
-शौर्य शंकर
दरमियान हमारे जो भी
बातें,
मुलाकातें,
मुस्कुराहटें,
खुश्बूएं,
छुवन,
नज़रें,
यादें,
सपने,
एहसासें,
इशारे,
रुबाइयाँ,
सिहरने,
आहें,
इन्तज़ारें,
शिकायतें थीं ....
चंद ही दिनो में धूल जमने लगी है उनपे
उन्हें बैठ कर साफ़ कर रहा हूँ
यादों के उन्ही गिरहों को खोल रहा हूँ
उनमे से कुछ दम घुटने से मर चुके हैं
बाकियों के मुह में फूक,
दम भर रहा हूँ
लावारिस पड़े हैं
वो यहाँ से वहां
उनकी लाश से लिपट
हस तो कभी रो रहा हूँ
हो सके तो दुआ करना
इन हमसायों के लिए
-शौर्य शंकर