क्या वो भी
कभी अंधेरे में मुझसे बतयाती होगी
कभी मेरा नाम लिखती फिर मिटाती होगी
कभी अकेले बैठे मुझे सोच के मुस्कुराती होगी
कभी पुरानी यादों में आँसू बहती होगी
कभी मेरे प्यार के बुलबुले उड़ाती होगी
कभी आहट होने पर किवाड़ तक आती होगी
या
कभी झरोखे पे बैठे दिन बिताती होगी
कभी पलकों पे धरे नींद फूक के उड़ाती होगी
कभी मुझे मिलने ख़्वाबों में जाती होगी
कभी जल्दी में जूते पहनना भूल जाती होगी
कभी दुनिया से डर के मुझमे सिमट जाती होगी
या कभी मुझे याद कर डार्क चॉक्लेट खाती होगी .
~शौर्य शंकर
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