Sunday, 30 November 2014

हम वो हैं....

हम वो हैं जो वादों पे जिया करते हैं
कागज़ों पे जीने वाले अक्सर फ़र्ज़ी होते है


गले मिलो बात करो , कुछ वक़्त और गुजार लो
कल का क्या पता, फलक का तारा हो गया तो

लोग कई आएँगे तेरे दर पे कुछ न कुछ मांगने को
जो सब कुछ अपना छोड़ आए तो समझना मैं आया था

आज तेरे नूर-ए-कमर पे मरते होंगे लाखों
जब इनमे से कोई भी न हो तब मेरे पास चली आना

है दौलत तो क्या है तेरे पास ए दोस्त
मेरे जैसा जीने का अंदाज़ कहाँ से लाओगे

खूब ज़िद्दी होगा तू सही ए खुदा तो क्या
मैं भी क़यामत तक हार नहीं मानने का



~शौर्य शंकर

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