Wednesday, 24 December 2014

कैसे मिटाऊं ......

कैसे मिटाऊं तेरा चेहरा मैं दिल से अपने
जितना घिसूँ दिल वो उतना साफ़ दिखे है

न देखूं , न लिखूं , न बोलू मैं कुछ अब
तू ही तू जो मुझे अब हर जहाँ में दिखे है

तेरे लब कुछ यूँ मुझे परेशान करे है
ख़्वाब में रोज़ क्यों कर मुझे चूमा करे है

तू भाए है मुझे क्यों कर बहुत बूझूं न
तेरी हर फ़िज़ूल बात भी क्यों याद आया करे है

ख़ुदा भी क्यों खेले है मेरे दिल से, बूझूं न
जब नहीं कुछ दिल में फिर सब से क्यों मिलवाया करे है


~ शौर्य शंकर 

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