चलो जहाँ,
चाँद की रोशनी हो,
तारों की बातें हों।
भूतों के सपने हों,
परियों की यादें हों।
कोई अनसुनी कहानी हो,
जहाँ बचपन सी रवानी हो।
चलो जहाँ,
रेत पर चलते छोटे नंगे पैर हों,
हाथ में लटकाए जूते हों।
पैरों की हलकी निशानी हो,
किसी की उंगली हमने थामी हो।
चारों तरफ बहता पानी हो,
और नाव ,उस पार ले जानी हो।
चलो जहाँ,
ख़्वाबों का काफ़िला हो,
खुशियों की जवानी हो।
हवा कुछ सुहानी हो,
बादल भी दीवानी हो।
मिटटी की प्रेम कहानी हो,
और उस पर उमर बचकानी हो।
चाँद की रोशनी हो,
तारों की बातें हों।
भूतों के सपने हों,
परियों की यादें हों।
कोई अनसुनी कहानी हो,
जहाँ बचपन सी रवानी हो।
चलो जहाँ,
रेत पर चलते छोटे नंगे पैर हों,
हाथ में लटकाए जूते हों।
पैरों की हलकी निशानी हो,
किसी की उंगली हमने थामी हो।
चारों तरफ बहता पानी हो,
और नाव ,उस पार ले जानी हो।
चलो जहाँ,
ख़्वाबों का काफ़िला हो,
खुशियों की जवानी हो।
हवा कुछ सुहानी हो,
बादल भी दीवानी हो।
मिटटी की प्रेम कहानी हो,
और उस पर उमर बचकानी हो।
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