Saturday, 9 February 2013

बच्चे जो मेरे पड़ोसी हैं..

कुछ बच्चे जो मेरे पड़ोसी हैं,
बात करते हैं, मेरी और मेरे बुलेट की।

कुछ महाशय की तो ये राय है हमारे बारे में,
कि बुलेट वाले भैया बहोत गुस्से वाले हैं।
अरे तुमने देखा है,
वो कभी किसी से कुछ नहीं बोलते!

तो उनमे से दूसरा कहता,
मुझे तो उनकी आँखों से डर लगता है भाई।

तो तीसरा कहता,
अबे इसी लिए तो बुलेट खरीदी है उन्होंने।

तो चौथा, जो काफी देर से मौन बैठा था,
बातों के महाभारत में कूदा और बोला,
तुझे पता है, बुलेट चलाने के लिए कितनी ताक़त चाहिए,
पूरी लोहे की बनी होती है, बुलेट।
ये बात शायद उसके पापा ने उसे बताई होगी।

तो अगले ने कहा,
तुम्हे पता है, मेरी माँ कहती है,
की वो लम्बू!
वो तो "गुंडा है गुंडा"।

पर मेरी बहन को वो बहुत अच्छे लगते हैं,
वो रोज मुझसे उनका नाम पूछती है।
किसी को उनका नाम पता है क्या?

तो काफी देर सन्नाटे के बाद,
एक ने हिचकिचाते हुए कहा,
भाई उनका नाम पूछने की हिम्मत,
हममे से तो, किसी में नहीं है।

इस वार्तालाप के बाद,
सब एक दुसरे को गौर से देखने लगे।

तो कुछ ही मिनटों बाद,
उनमे से सबसे छोटे महाशय ने फ़रमाया,
तुम्हे पता है,
मैंने उनसे बात की है,
और उनकी बुलेट पर घुमा भी हूँ,
मुझे तो उनका नाम भी पता है।

पहले तो सब भौचक्के खड़े रहे,
फिर,
सबने मिलके उसका जम के मजाक उड़ाया,
और वो बिचारा रोता हुआ वहां से चला गया।

और मेरे और मेरे बुलेट की बातें वहीं पड़ी रह गयीं...

- शौर्य शंकर 

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