मेरे रोम-रोम में समाई है,
मेरी रूहानी परछाई है , तू।
मेरी ज़हन में फैली ग़फलत है,
मेरा हाथ थामे चलती मज़हब है, तू।
मेरे नब्ज़ में बहते ख़ून की रवानी है,
मेरे एहसासों की जीती-जाती कहानी है, तू।
मेरे प्यार के बुत की ताक़त रूहानी है,
ख़ुदा के इबादत की मुहँ-ज़ुबानी है, तू।
मेरे हर साज़ में बजती राग-भोपाली है,
मुझमें हर पल खिलती जवानी है, तू।
मेरे दिल के झरने से बरसती अमृत का पानी है,
गंगा किनारे की, कोई सुबह सुहानी है , तू।
मेरी रूहानी परछाई है , तू।
मेरी ज़हन में फैली ग़फलत है,
मेरा हाथ थामे चलती मज़हब है, तू।
मेरे नब्ज़ में बहते ख़ून की रवानी है,
मेरे एहसासों की जीती-जाती कहानी है, तू।
मेरे प्यार के बुत की ताक़त रूहानी है,
ख़ुदा के इबादत की मुहँ-ज़ुबानी है, तू।
मेरे हर साज़ में बजती राग-भोपाली है,
मुझमें हर पल खिलती जवानी है, तू।
मेरे दिल के झरने से बरसती अमृत का पानी है,
गंगा किनारे की, कोई सुबह सुहानी है , तू।