आज खुद को महसूस किया है,
पलकों पर पड़े धुल हटाये हैं आज,
कई सालों बाद...
आज आँखों से रंगों की खनक छुई है,
कान जो चुप सहमी थी, मुस्कुराई है आज,
कई सालों बाद...
आज पथराये होंठ जो तेरे होंठो की छुवन से उठ बैठे हैं,
मेरा दिल जो दफ़्न था ग़मगीन समंदर तले, उसने भी कई राग गए हैं आज,
कई सालों बाद...
आज सोचा शायद पहले मैं सिर्फ साँस ही लिया करता था,
पर आसमान से ज़िन्दगी की गहराई में कूदा हूँ आज,
कई सालों बाद...
आज महसूस किया कि एक-एक सिक्के ख़ुशी के बिनते, मैं थक चूका था,
तुझमे ही वो अनमोल गोहर पा लिया है आज,
कई सालों बाद...
शौर्य शंकर
पलकों पर पड़े धुल हटाये हैं आज,
कई सालों बाद...
आज आँखों से रंगों की खनक छुई है,
कान जो चुप सहमी थी, मुस्कुराई है आज,
कई सालों बाद...
आज पथराये होंठ जो तेरे होंठो की छुवन से उठ बैठे हैं,
मेरा दिल जो दफ़्न था ग़मगीन समंदर तले, उसने भी कई राग गए हैं आज,
कई सालों बाद...
आज सोचा शायद पहले मैं सिर्फ साँस ही लिया करता था,
पर आसमान से ज़िन्दगी की गहराई में कूदा हूँ आज,
कई सालों बाद...
आज महसूस किया कि एक-एक सिक्के ख़ुशी के बिनते, मैं थक चूका था,
तुझमे ही वो अनमोल गोहर पा लिया है आज,
कई सालों बाद...
शौर्य शंकर
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