Sunday, 18 November 2012

आज भी जब मैं...

आज भी जब मैं तुझे याद करता हूँ,
देर रात अपनी बुलेट पर,
तेरी यादों के साथ कहीं घूम आता हूँ।

आज भी जब तेरी हंसी याद करता हूँ,
वही उलटे मोज़े पहनकर,
कहीं दूर तक हो आता हूँ।

आज भी जब किसी जोड़े को देखता हूँ,
धड़कन ओढ़ तेरी गोद में,
कुछ देर सो जाता हूँ।

आज भी जब तुझे कुछ कहने की कोशिश करता हूँ,
तेरे नाम ख़त लिख,
तेरे पुराने पते पर छोड़ आता हूँ।

आज भी जब तुझे बारिश में भीगते महसूस करता हूँ,
तेरी भीगी खुशबुओं से लिपट के,
अपने मन को भिगो लाता हूँ।

आज भी जब तेरी आँखों को टिमटिमाते देखता हूँ,
चाँद पर सीढ़ी रख,
तेरे पलकों को चूम आता हूँ।

आज भी जब तुझे सपनों में देखता हूँ,
बादलों पर चढ़ तुझे,
अपनी आँखों में बटोर लाता हूँ।

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