Wednesday 28 May 2014

देख न....

May 28, 2014




दरमियान हमारे जो भी

बातें,
मुलाकातें,
मुस्कुराहटें,
खुश्बूएं,
छुवन,
नज़रें,
यादें,
सपने,
एहसासें,
इशारे,
रुबाइयाँ,
सिहरने,
आहें,
इन्तज़ारें,
शिकायतें थीं ....

चंद ही दिनो में धूल जमने लगी है उनपे
उन्हें बैठ कर साफ़ कर रहा हूँ

यादों के उन्ही गिरहों को खोल रहा हूँ
उनमे से कुछ दम घुटने से मर चुके हैं

बाकियों के मुह में फूक,
दम भर रहा हूँ

लावारिस पड़े हैं
 वो यहाँ से वहां

उनकी लाश से लिपट
हस तो कभी रो रहा हूँ

हो सके तो दुआ करना
इन हमसायों के लिए


-शौर्य शंकर 

Friday 23 May 2014

क्या वो भी कभी ...




क्या वो भी
कभी अंधेरे में मुझसे बतयाती होगी
कभी मेरा नाम लिखती फिर मिटाती होगी
कभी अकेले बैठे मुझे सोच के मुस्कुराती होगी
कभी पुरानी यादों में आँसू बहती होगी
कभी मेरे प्यार के बुलबुले उड़ाती होगी
कभी आहट होने पर किवाड़ तक आती होगी

या
कभी झरोखे पे बैठे दिन बिताती होगी
कभी पलकों पे धरे नींद फूक के उड़ाती होगी
कभी मुझे मिलने ख़्वाबों में जाती होगी
कभी जल्दी में जूते पहनना भूल जाती होगी
कभी दुनिया से डर के मुझमे सिमट जाती होगी
या कभी मुझे याद कर डार्क चॉक्लेट खाती होगी .

~शौर्य शंकर 

Thursday 15 May 2014

Don't know.....



Arriving somewhere but don't know where..
Looking for something but don't know what.

Waiting for someone but don't know whom..
Lost everything but don't know what.. 

So many things to say but don't know how..
Got some new feeling but don't know why..

~Shaurya Shanker

भीनी ख़ुश्बू ....




वही मिट्टी की भीनी ख़ुश्बू
वही लहरों पे तैरती  ठंडी हवा

वही बाँस के सूखे सुनहरे पत्ते
वही चौराहे के पुराने पेड़ की आम्मियाँ

और वही नदी किनारे महुए के पेड़ की बेघर परछाई
जो मेरा हाथ थामे गाँव के पंचायत जा  रही है 


~ शौर्य शंकर 

जबसे .....



जबसे तेरा नाम सुना है 
सुबह-शाम 
जपने लगा हूँ 

जबसे तेरा दीदार किया है 
ख़ुद पे ऐतबार 
करने लगा हूँ 

जबसे तेरा इश्क़ चखा है 
रात-दिन मदहोश 
रहने लगा हूँ 



~शौर्य शंकर