Tuesday 28 August 2018

मौन...



मौन
किसे कहते हैं मौन
उसकी परिभाषा क्या है
और जो परिभाषा है उसकी
किताबों में
क्या परिभाषित करती है
कैसे किसी शब्द या शब्दों के समूह से
किसी की अनुभूति या
उसकी उपस्थिति को
दर्ज कर सकते हैं
क्या हमारी अनुभूति इतनी आम
और सस्ती हो चुकी है कि
अनुभव करने के लिए
शब्दों का बोझ ढोना पड़ेगा
या क्या हम इतनी प्रगति कर चुके हैं कि
हर भाव, कल्पना, अनुभव को
किसी शब्द का जामा पहना के
उसको नए रंग, रूप, आकार में ढाल के
बिलकुल वैसा ही कर दे
जैसा हम उसे देखना और
दूसरों को प्रस्तुत करना चाहते हैं
बाज़ार में बेचने को
क्यूँ वो
ना किसी रंग
ना कोई रूप
ना कोई आकार का हो
क्यूँ नहीं उसे समझने , महसूस करने वाला
बिना इनके स्वीकार करे
~ शौर्य शंकर

Wednesday 4 April 2018

झड़ा जा रहा .....



छटपटाहट छुपके
जो मन मे आई
पत-झड़ सा कुछ
हुआ भीतर
हर हल्के से झोंके पे
मुझमें से मेरा ही
एक टूकड़ा, सूखा सा
झड़ा जा रहा .....
~शौर्य शंकर