चलूँ जहाँ मैं...
खुल के जी सकूँ,
दम भर साँस ले सकूँ।
हवावों को छू सकूँ,
कुछ महसूस कर सकूँ।
पानी पे चल सकूँ,
बारिश में मन भिगो सकूँ।
लहरों से लड़ सकूँ,
इन्द्रधनुष को छेड़ सकूँ।
बादलों में छुप सकूँ,
आसमान पर चढ़ सकूँ।
सूरज को आलिंगन में भर सकूँ,
धूप के साथ खेल सकूं।
चलूँ जहाँ मैं...
आँखों को पढना सिखाऊँ,
पैरों को सम्भलना सिखाऊं।
हाथों को फड़फड़ाना सिखाऊं,
उँगलियों को छूना सिखाऊं।
दिल को मचलना सिखाऊं,
उम्मीदों को उड़ना सिखाऊं।
मन को सुकून चुगना सिखाऊं,
दर्द को मुस्कुराना सिखाऊं।
सोच को तेज़ बहना सिखाऊं,
भूख को भर पेट खाना सिखाऊं।
हौसले को अडिग बनना सिखाऊं,
आत्मा को 'शौर्य' बनना सिखाऊं।
शौर्य शंकर
खुल के जी सकूँ,
दम भर साँस ले सकूँ।
हवावों को छू सकूँ,
कुछ महसूस कर सकूँ।
पानी पे चल सकूँ,
बारिश में मन भिगो सकूँ।
लहरों से लड़ सकूँ,
इन्द्रधनुष को छेड़ सकूँ।
बादलों में छुप सकूँ,
आसमान पर चढ़ सकूँ।
सूरज को आलिंगन में भर सकूँ,
धूप के साथ खेल सकूं।
चलूँ जहाँ मैं...
आँखों को पढना सिखाऊँ,
पैरों को सम्भलना सिखाऊं।
हाथों को फड़फड़ाना सिखाऊं,
उँगलियों को छूना सिखाऊं।
दिल को मचलना सिखाऊं,
उम्मीदों को उड़ना सिखाऊं।
मन को सुकून चुगना सिखाऊं,
दर्द को मुस्कुराना सिखाऊं।
सोच को तेज़ बहना सिखाऊं,
भूख को भर पेट खाना सिखाऊं।
हौसले को अडिग बनना सिखाऊं,
आत्मा को 'शौर्य' बनना सिखाऊं।
शौर्य शंकर
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