अब तेरे तस्वीरों के सामने बैठे
मैं उनसे बाते करता हूँ।
अब तेरे साए से मिलने को मिन्नतें
मैं कई बार करता हूँ।
अब तेरे झूटे वादों पे भी ऐतबार
मैं हर बार करता हूँ।
अब तेरे छोड़े यादों के सिलवटों को भी प्यार
मैं दिन रात करता हूँ।
अब तेरे भेजे पुराने ख़तों से नादानियों का इकरार
मैं करता हूँ।
अब तेरे दिल के किवाड़ पे दस्तक से दुश्मनी
मैं हज़ार कर लेता हूँ।
अब तेरे लिए लिखी कविताओं के पन्नो से
मैं कागज़ों के प्लेन उड़ाया करता हूँ।
अब तेरे यादों के चौखट पे इंतज़ार के दिए
मैं रोज़ जलाया करता हूँ।
अब तेरे दूर जाने के डर से खुदा से
मैं रोज मिलने जाया करता हूँ।
अब तेरे साथ बिताए लम्हों को बुन के
मैं अतीत का एक गोला बनाया करता हूँ।
अब तेरे इंतज़ार में हर पल आग के दरिया को पार
मैं किया करता हूँ।
-शौर्य शंकर
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