ये ज़िन्दगी भी क्या खूब खेल खिलाती है।
एक पल में हजारों खुशियाँ देती,
दुसरे पल फिर रुलाती है।
एक पल में खुद से मिलाती,
दुसरे पल सबसे दूर कर जाती है।
एक पल में दोस्तों की नयी दुनियां,
दूसरे पल कोहराम मचा जाती है।
एक पल में ख्वाब सिरहाने रखती,
दुसरे पल फिर जगाने आ जाती है।
एक पल में दोस्तों की नयी दुनियां,
दूसरे पल कोहराम मचा जाती है।
एक पल में ख्वाब सिरहाने रखती,
दुसरे पल फिर जगाने आ जाती है।
ज़िन्दगी भी क्या खूब खेल...
---शौर्य शंकर
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